जम्‍मूू कश्‍मीर में बढ़ती सैलानियों की संख्‍या, सैलानियों का बयान उन लोगों पर है तमाचा


जम्‍मू कश्‍मीर में हालात लगातार सामान्‍य हो रहे हैं। इस बात को पाकिस्‍तान छोड़कर सभी मान रहे हैं। पाकिस्‍तान के राजनीतिक हालात और वहां की सियासत भले ही इसको मानने के लिए तैयार न हो लेकिन अब इसकी सच्‍चाई सामने आ रही है। इस बात की गवाही यहां पर पहुंचने वाले विदेशी सैला‍नी भी दी रहे हैं। दरअसल 5 अगस्‍त से लेकर 30 सितंबर तक करीब 928 विदेशी सैलानी श्रीनगर अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे हैं। इन लोगों के लिए मौजूदा समय यहां आने के लिए सबसे अच्‍छा है। यह आंकड़े और सैलानियों का बयान उन लोगों पर जबरदस्‍त तमाचा है जो बार-बार जम्‍मू कश्‍मीर के हालातों की गलत जानकारी देकर भारत की छवि खराब करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। पाकिस्‍तान ने तो अमेरिका तक में भी इस झूठ का प्रचार-प्रसार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। वहीं राज्‍य में हो रही सेना की भर्ती भी इन लोगों को करारा जवाब है। सेना द्वारा की जा रही भर्तियों में राज्‍य के सैकड़ों युवा बढ़-चढ़ कर हिस्‍सा ले रहे हैं।


बारबरा स्‍ट्रॉस भी ऐसे ही दूसरे विदेशी सैलानी हैं जो जर्मनी से यहां पर आए हैं। वह यूं तो लाइब्रेरियन हैं। वह जिस हाउसबोट में ठहरे हैं उसका नाम है स्‍वीटजरलैंड। उनके मुताबिक यहां पर आने के लिए यह समय सबसे अच्‍छा है। इस वक्‍त न तो पयर्टकों की मारामारी है और ही रुकने के लिए होटल की तंगी। सस्‍ती दर में अच्‍छी जगह रुकने का मौका भी है। न तो यहां पर अब कोई हिंसा है और न ही किसी तरह की रोकटोक। पहले जो पत्‍थरबाज और सुरक्षाबलों के बीच संघर्ष की खबरें आती थीं वह भी अब खत्‍म हो चुकी हैं। खेतों में किसानों को फसल काटते आसानी से देखा जा सकता है। सड़कों पर घूमने में अब न तो कोई डर है और न ही कोई दिक्‍कत। यह केवल दो नाम नहीं हैं जो विदेश से यहां पर घूमने आए हों, बल्कि फ्रांस के लूईस एलेक्‍सी, अमेरिका के रॉबिन, मलेशिया की बिंटी शॉन बेलजियम के हेग्‍यू बेन भी इसी फहरिस्‍त का हिस्‍सा हैं। इनका भी मानना है कि यहां पर पूर्व में हुई हिंसा और प्रदर्शनों की वजह से राज्‍य का विकास रुक गया था जो अब आगे बढ़ सकेगा।